सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद आवारा कुत्तों की समस्या भले ही राष्ट्रीय चिंता का विषय है, लेकिन राज्यों की तैयाही बहुत कमजोर है। आश्रय स्थल बनाना तौ दूर कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज को रोकने के लिए आवश्यक टीकाकरण की व्यवस्था भी पूरी नहीं है। उत्तर प्रदेश. हरियाणा व उत्तराखंड समेत कुछ राज्य जरूर इस दिशा में कार्य कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर की प्राथमिकता में यह नहीं है।
पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) के नियमों के अनुसार, कुल आबादी के 70 प्रतिशत कुत्तों को रेबीज का सालाना टीका लगाया जाना आवश्यक है, ताकि यह बीमारी कुत्तों से कुत्तों में न फैले। कोई भी राज्य इस मानक को पूरा नहीं कर रहा है। उत्तर प्रदेश में 20 लाख से अधिक आवारा कुते हैं, जिनमें से 5.32 लाख का बधियाकरण और टीकाकरण किया जा चुका है, जो लगभग एक चौथाई है। गत 1 अप्रैल से 31 अक्टूबर त हजार कुत्तों का टीकाकरण किया गया। उसक लिए केंद्र या राज्य सरकार अलग से कोई बजट नहीं देती है, बल्कि नगर निगम अपने स्तर पर यह कार्य करते हैं। एक कुत्ते के बधियाकरण और टीकाकरण पर लगभग 1,100 से 1,200 रुपये का खर्च आता है।
