
देश में स्वास्थ्य बीमा की सीमित पहुंच बड़ी चुनौती है। आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ 40% लोग हेल्थ इंश्योरेंस से कवर्ड हैं। फिर भी 62% स्वास्थ्य खर्च सीधे मरीजों को अपनी जेब से चुकाना पड़ता है। इससे भी चिंताजनक बात यह है कि 23% परिवारों को अस्पतालों का खर्च उठाने के लिए कर्ज लेना पड़ता है। अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उन्होंने ‘सहीं’ बीमा नहीं खरीदा हीता।
जब बात बुजुर्ग माता-पिता के स्वास्थ्य की आती है, तो ऊंचे प्रीमियम के चलते कई लोग स्वास्थ्य बीमा लेने से हिचकते हैं। यह रिस्की है क्योंकि बुजुर्गों की तबियत खराब होने की आशंका ज्यादा रहती है। लेकिन एक खास पॉलिसी ‘डिडक्टिबल हेल्थ इंश्योरेंस’ इस समस्या का बेहतरीन समाधान हो सकती है। यह रेगुलर पॉलिसी की तुलना में 40-50% सस्ती हो सकती है।