
फरीदाबाद : सुप्रीम कोर्ट के आदेश
पर अरावली वन क्षेत्र में बने अवैध निका ढहाने के आदेश पर वन विभाग कारवाल कर रहा है। ऐसे में तीन बड़े शिक्षण सस्थान भी फॉरेस्ट क्षेत्र के अंतर्गत आ रहे हैं। इन संस्थानों पर भी तोड़फोड़ की तलवार लटक रही है। हालांकि विभागीय सूत्रों की मानें तो इन तीनों ही शिक्षण संस्थान ने तोड़फोड़ की कार्रवाई से बचने के लिए 2023 में ही सेंट्रल एनवायरमेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज मंत्रालय के पास आवेदन किया है, ताकि उनकी जमीन को कन्वर्ट करके फॉरेस्ट से बाहर निकाला जा सके। इनमें से एक शिक्षण संस्थान को पहले स्टेज की परमिशन भी मिल चुकी है। कयास हैं कि तीनों ही बड़े शिक्षण संस्थान तोड़फोड़ की कार्रवाई से बच सकते हैं।
निर्माणों को हटाया जाए। अरावली में बने अनखीर, अनंगपुर, मेवला महामजपुर और लकड़पुर का इलाका पंजाब भू संरक्षण अधिनियम 1900 की धारा 4 और 5 के तहत आते हैं। यानी की यहां पर अगर किसी की जमीन होगी भी तो वह अपनी जमीन पर कोई भी कमर्शल एक्टिविटी नहीं कर सकता है। लेकिन लोगों ने अपनी मलकियत की जमीन को बेच दिया और उन पर आज दर्जनों की नर्माण हो चुके हैं। इन चार गांवों का जमान गैर मुमकिन पहाड़ में आती है और इन पहाड़ों की भी मलकियत है। हरियाणा फॉरेस्ट गुड़गांव डिविजन के कंजरवेटर सुभाष यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर कार्रवाई चल रही है। फिलहाल जो निर्माण बचे हैं उन्हें चिन्हित किया जा रहा है।