फरीदाबाद सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और सार्वजनिक स्थानों को आवारा कुत्तों से मुक्त करने के आदेश जारी किए हैं। इस फैसले से शहरवासियों को राहत ती मिली है, लेकिन नगर निगम के लिए यह आदेश बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि शहर में अब तक कोई अधिकृत आश्रय स्थल (डॉग शेल्टर) नहीं है।
दूसरी ओर सरकार ने कोर्ट में हलफनामा देकर खूंखार कुत्तों को सड़कों से हटाने की बात कही है, जिससे निगम पर अतिरिक्त दबाव बढ़ गया है। स्मार्ट सिटी में करीब 50 हजार लावारिसे कुत्ते हैं, जिनमें से लगभग 10 हजार स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक स्थानों पर घूमते रहते हैं। बीके अस्पताल जैसे बड़े अस्पतालों के बाहर आठ से दस कुत्तों के झुंड आमतौर हैं। हैरानी की बाब की कुत्तों के आय स्थल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, उसके मुख्यालय परिसर में ही दिनभर कुत्तों का जमावड़ा रहता है। निगम ने अब तक केवल सात स्थान चिन्हित किए हैं, लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है।
