चंडीगढ़। बर्खास्तगी के खिलाफ दायर हरियाणा पुलिस के कांस्टेबल की याचिका को खारिज करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि वर्दीधारी बल में अनुशासन सर्वोपरि है और बार-बार ड्यूटी से अनुपस्थित रहना किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।जस्टिस जगमोहन बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश पवन कुमार की याचिका को खारिज करते हुए दिया। याची ने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए दलील दी थी कि उन्हें गलत ढंग से अनुपस्थित दिखाया गया है जबकि वह वास्तविक रूप से ड्यूटी पर थे।
याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया था कि उनके खिलाफ 2011, 2013 और 2014 में पारित दंड आदेशों को निरस्त किया जाए। इन आदेशों के तहत पहले दो बार उनकी वेतनवृद्धि रोकी गई और तीस् उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। अदालत के समक्ष रिकार्ड पाया गया कि पवन कुमार ने 2004 में हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल के रूप में ज्वाइन किया था। परंतु उनके खिलाफ तीन विभागीय जांच चलीं। इनमें बार-बारा लंबी अनुपस्थिति का आरोप साबिता हुआ। पहले वह 153 दिन और बाद में 403 दिन तक बिना अनुमात ड्यूटी से गायब रहे।
वेतन रोकने की सजा दी गई और तीसरी बार सेवा से बखरित किया गया। याचिकाकर्ता कहना था कि मैनुअल रोजनामचा उन्हें अनुपस्थित बताया गया जबकि कंप्यूटराइज्ड रोजनामचा में वह उपस्थित दर्शाए गए हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि केवल दो तिथियों के अंतर के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि 403 दिन की अनुपस्थिति झूठी है।
