
लावारिस पशु अधिक पर गोशालाएं मात्र तीन आड़कों पर लाइरिस पशुओं के घूमने की प्रमुख जा रहर में शाओं संख्या का काम होना है। निगम प्रशासन के पास तीन गोल है। इनमें संधात गोशाल, मवई, और ऊंचा गाव में चल रहीं शालाएं शामिल है। इन गल शामिल गीयाल गौशाला की हर महीने चार लाख समये नई गोशाला की 10 ल रुपये और ऊया गांव गोशाला को तीन लाख रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा जिले में नीमकर, भूसानी, लिसंद नवादा भूसनी लिय बाद बहन्द मायली कपुर और मोटू भी गोपलाएं चल रही है। गंगलाओं में करीब पांच हजार पशु है। नगर निगम की मदद से संचालित की जाने वाली तीनों पोशाओं में जगह है। भूपानी गांव की गोशाला के लिए टीनशेड का काम बचा हुआ ९९ है। इसके लिए करीब ढाई करोड़ रूपये के कगट की जरूरत है। बजट मिलने पर काम शुरू हो सकेगा।
गोशाला न बन पाने के कारण लावारिस पशुओं को पकड़ने का काम हो रहा बाधित, टीनशेड बनाने का क का काम अमी नहीं हो सका
लावारिस पशु अधिक पर गोशालाएं मात्र तीन
आड़कों पर लाइरिस पशुओं के घूमने की प्रमुख जा रहर में शाओं संख्या का काम होना है। निगम प्रशासन के पास तीन गोल है। इनमें संधात
गोशाल, मवई, और ऊंचा गाव में चल रहीं शालाएं शामिल है। इन गल शामिल गीयाल गौशाला की हर महीने चार लाख समये नई गोशाला की 10 ल रुपये और ऊया गांव गोशाला को तीन लाख रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा जिले में नीमकर, भूसानी, लिसंद नवादा भूसनी लिय बाद बहन्द मायली कपुर और मोटू भी गोपलाएं चल रही है। गंगलाओं में करीब पांच हजार पशु है। नगर निगम की मदद से संचालित की जाने वाली तीनों पोशाओं में जगह है।
भूपानी गांव की गोशाला के लिए टीनशेड का काम ब चा हुआ ९९ है। इसके लिए करीब ढाई करोड़ रूपये के कगट की जरूरत है। बजट मिलने पर काम शुरू हो सकेगा।