फरीदाबाद। हरियाणा के मुखिया जी के एक साल की केन्द्र द्वारा की गई समीक्षा खासी चर्चाओं में है, असल में इस समीक्षा में हरियाणा के मुखिया जी के हर बात में अब्बल नम्बर है, केवल अफसरशाही को छोड कर, यही कारण हे कि केन्द्र ने मुखिया जी को अफसरशाही पर नकेल कसने की सलाह भी दी है। मजेदार बात यह है कि अफसरशाही पर शिंकजा कसने के मामले में दिल्ली जैसे प्रदेश की मुख्यमंत्री भी हरियाणा से आगे है, हरियाणा से एक दर्जन से जिसका अर्थ यही निमरेका भा रहा है कि अफसरशाही लगाम कसने में आगे हैं. निकोला ना रहा है कि वेशक प्रदेश के मुखिया जी ने अफसम्मोही को पूरी तरह से महत्व दे रखा है, पर फिर भी अफसरशाही उस तरह से काम नहीं कर रही है जिस तरह से एक मुखिया जी के कहने पर अफसरशाही को काम करना चाहिए?
यही नहीं माना यह कार्यकर्ताओं के वह आरोप भी सही हैं कि प्रदेश में अफसरशाही हावी है? राजनैतिक गलियारों में यह चर्चा आम है कि प्रदेश के मुखिया जी जनसम्पर्क सहित अन्य सभी मामलों में अग्रणी है, लेकिन केवल अफसरशाही है कि उनकी फजीहत करा रही है, जबकी सच्चाई यह है कि जिनता विश्वास मुखिया जी अफसरशाही पर कर के चल रहे हैं, उतना शायद ही किसी मुखिया ने किया हो? हालांकि यह भी शोध का विषय है कि आखिर प्रदेश की अफसरशाही मुखिया जी को वह महत्व क्यों नहीं दे रही है जो कि भी जा रहा है कि इस समीक्षा के बाद कहीं न कहीं भाजपा सत्यजय हरियाणा में कांग्रेस ने किस तरह के नेताओं को अपना उम्मीदवार बना कर विधानसभा चुनावों में उतारा था कि उनको अपने विधानसभा के वोटों के विषय में ही सही जानकारी नहीं है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज दिली में प्रदेश कांग्रसाध्यक्ष द्वारा बुलाई गई
