
सुपर बिल्ट अप और कार्पेट एरिया के बीच बढ़ता जा रहा फासला
प्रमुख शहरों की आवासीय परियोजनाओं में साझा सुविधाएं मुहैया कराने के नाम पर बिल्डरों ने औसत लोडिंग को 40 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है जिससे पिछले कुछ क्यों में फ्लैट के भीतर इस्तेमाल लायक जगह काफी कम हो गई है।
एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। किसी आवासीय परियोजना में साझा सुविधाओं के लिए इस्तेमाल हुई जमीन को भी जोड़कर फ्लैट की विक्री की जाती है। इस संपूर्ण क्षेत्रफल को सुपर बिल्टअप एरिया कहा जाता है, जबकि फ्लैट के भीतर की जगह कार्पेट एरिया कही कही जाती है।
इन दोनों के बीच के अंतर पर लोडिंग अनुपात कहा जाता है। रियल एस्टेट सलाहकार फर्म एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2019 में औसत लोडिंग अनुपात 31 प्रतिशत था लेकिन जनवरी-मार्च 2025 की तिमाही में यह बढ़कर 40 प्रतिशत पर पहुंच गया। इसका मतलब है कि फ्लैट मालिकों को अब रहने लायक कम जगह मिल रही है और वे साझा सुविधाओं के नाम पर अधिक पैसे चुका रहे हैं।