
महंगाई ने चलाया नश्तर और बिकने लगा 'बकरा किस्तों पह'
ईद पर बाजार में ऊंची कीमतों के कारण खरीदार बकरे ले जा रहे हैं ईएन आई पर
सिद्धार्थ कलांस यक की भांगी जात्री है। मेसर त्योहार शनिवार को है और बाजार में करी चाय हैं। यही वजह है कि पहली बार बकरीद उपलब्ध करा देह है। मंडियां गई बाले बकरी गुलजार है।
कुछ साल पहले करीबी काजी पलन शुरू हुआ था, उस पर पी माईगई की पाप दिख रही है। कुत्चांनों के लिए पैसे के लखनऊ के प्रमुख कसाई मुहल्ले बिल्ली में जगह-जगरा कैनर लगे हैं, जो हिस्सों की बिक्री का इस्तार करगो स्लोग
खरीदने पहुंचे जिन लोगों को मामला हैसियत से बाहर का लग रहा है, सेबर जमानत आकमी की बैंकों के पोस्ट-वेटेड चेक दे रहे हैं और संदीदा बकराया ले रहे है।
लखनऊ के पुराने इलाके चौक और पुरानी कुल मंही के पास लगने वाले बकरा बागर में लोग शॉट नया ले रहे हैं या किस्तकाने की हराजी हो रहे हैं। पुरानी पूरत मंदी के पास बकने बेचने बैठे शमसाद बताते हैं कि 18:000 रुपये से 3 लपक के
मगर सबसे ज्यादा बित्री 12 से 18 किलोद्वाम वजन अते बफ की ही हो रही है। वह कहते हैं कि खुदरा बाजार मेंही बकरे का गोत 800 रुपये किलो बिक रहा है, इसलिए के करे और भी हक है फिर भी बाजार में पिछले साल से ज्यादार हैं। रुहेलखंड में बरेली के पास देवरों का मशहूर बाजार है। वहां बिक्री कर रहे राश सिंह बताते है कि बकरीद पर इस बकरा और आम आदमी की पहुंच से बाहर इसीलिए किन्ती पर बकरा काफी लोग पसंद कर रहे हैं।