कोर्ट ने कहा कि रजिस्ट्रेशन के जरिये अनुमानित स्वामित्व पर आधारित सिस्टम ने संपत्ति की खरीद-बिक्री को जटिल, अनिश्चित और मुकदमों से भरा बना दिया है। संपत्ति खरीदना कभी आसान नहीं बल्कि आघात जैसा अनुभव है।
दीवानी मामलों में करीब 66% विवाद संपत्ति से जुड़े हैं। भारी मात्रा में भूमि विवादों के लिए मौजूदा सिस्टम मुख्य जिम्मेदार है। पुराना कानूनी ढांचा नकली दस्तावेज, अतिक्रमण, देरी, बिचौलियों की भूमिका और राज्यों में बिखरे नियमों जैसी खामियों से भरा है। उप-पंजीयक दफ्तरों में प्रशासनिक प्रक्रिया बोझिल और समय लेने वाली है।
